लेखनी कविता -हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे- ग़ालिब

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हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे/ ग़ालिब हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ[1]मुझसे मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे दर्से-उन्वाने-तमाशा[2]बा-तग़ाफ़ुल[3]ख़ुशतर[4] है निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ[5] वहशते-आतिशे-दिल[6]से शबे-तन्हाई[7]में सूरते-दूद [8]रहा साया गुरेज़ाँ [9]मुझसे ग़मे-उश्शाक़[10]न ...

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